आज 26 नवंबर है। यह वही दिन है जिस दिन भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ था। आज उन महानायकों, समाजसुधारकों और नेतागणों के असाधारण योगदान को ध्यान में रखते हुए सविधान दिवस के खास मौके पर सेंट्रल भवन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। हालांकि कांग्रेस पार्टी के नेताओं और अन्य विपक्षी पार्टियों के द्वारा इस कार्यक्रम का बॉयकॉट किया गया। परंतु देश के प्रधानमंत्री समेत बीजेपी और अन्य पार्टियों के सदस्य इस कार्यक्रम में मौजूद रहे।

इस कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी के द्वारा सभा को संबोधित भी किया गया पीएम मोदी ने तरह-तरह के तर्क प्रस्तुत किए। परंतु आज जो तर्क सबकी जुबान पर चढ़ गया है वह ये है कि आज पीएम मोदी ने उपनिवेशवादी मानसिकता पर एक बड़ा बयान दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narender Modi) ने कहा कि “आज पूरे विश्व में कोई भी देश ऐसा नहीं है, जो प्रकट रूप से किसी अन्य देश के उपनिवेश के रूप में Exist करता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उपनिवेशवाद की मानसिकता कॉलोनियल माइंडसेट्स समाप्त हो गया है। हम देख रहे हैं कि यह मानसिकता अनेक विकृतियों को जन्म दे रही है। 

कार्यक्रम में उठी कॉलोनियल माइंडसेट्स की बात

अपने आगे के संबोधन में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण हमें विकासशील देशों की विकास यात्रा में आ रही बाधाओं में दिखाई देता है। जिन संसाधनों से जिन मार्गों पर चलते हुए विकसित विश्व आज के मुकाम पर पहुंचा है। आज वही साधन, वही मार्ग विकासशील देशों के लिए बंद करने के प्रयास किए जाते हैं।

बता दे कि पीएम ने मात्र इतने ही शब्दों में अपना संबोधन समाप्त नहीं किया बल्कि उन्होंने उपनिवेशवाद की मानसिकता को कटघरे में खड़ा करके अच्छे से परिभाषित किया अपने आगे के वक्तव्य में उन्होंने कहा कि “आजादी के आंदोलन में जो संकल्प शक्ति पैदा हुई। उसे और अधिक मजबूत करने में यह कॉलोनियल माइंडसेट्स बहुत बड़ी बाधा है। हमें इसे दूर करना ही होगा और इसके लिए हमारी सबसे बड़ी शक्ति हमारा सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत, हमारा संविधान ही है।”

संबोधन में पीएम मोदी ने याद दिलाई जिम्मेदारियां और भूमिकाएं

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी ने कहा कि “सरकार और न्यायपालिका दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है। इसलिए दोनों ही जुड़वा संताने हैं। संविधान की वजह से ही यह दोनों अस्तित्व में आए हैं इसलिए व्यापक दृष्टिकोण से देखें, तो अलग-अलग होने के बाद भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। आजादी के लिए जीने-मरने वाले लोगों ने जो सपने देखे थे। उन सपनों के प्रकाश में और हजारों साल की भारत की महान परंपरा को संजोए हुए। हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें संविधान दिया। उन्होंने कहा “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” यह संविधान की भावना का सबसे सशक्त प्रकटीकरण है। संविधान के लिए समर्पित सरकार विकास में भेद नहीं करती और यह हमने करके दिखाया है।

सविधान दिवस के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम में मात्र संविधान की बात ही नहीं की गई। पीएम मोदी ने कोरोनाकाल में सरकार द्वारा किए गए कार्यों का भी उल्लेख किया। साथ ही पीएम गरीब कल्याण योजना पर भी प्रकाश डाला।

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