यूक्रेन और रूस के तनातनी के बीच बीजिंग में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक पर भी राजनीति शुरू हो गई है। अगले सप्ताह बीजिंग ओलंपिक के उद्घाटन में शामिल होने के लिए पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। अमेरिका समेत पश्चिम के कई मुल्क बीजिंग में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक का बहिष्कार कर रहे हैं।

यूक्रेन और रूस के बीच भी जंग का असर

चीन में शीतकालीन ओलंपिक पर सियासत के बाद यूक्रेन और रूस के बीच भी जंग का असर दिख गया है। इसके दूरगामी परिणाम भी होंगे। प्रोफेसर हर श्री पंत ने कहा है कि अमेरिका और उसके मित्र देशों के राजनीतिक बहिष्कार से शीतकालीन ओलंपिक खेलों की भव्यता प्रभावित हो सकती है। 4 फरवरी से 20 फरवरी तक शीतकालीन ओलंपिक होंगे। इनका आयोजन चीन में किया जाएगा।

शीतकालीन खेल 4 से 13 मार्च तक

जिसके बाद पैरालिपिंग शीतकालीन खेल 4 से 13 मार्च तक किए जाएंगे। इसमें चीन के कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर अमेरिका व ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों ने इन आयोजनों के राजनयिक बहिष्कार की घोषणा की है। आने वाले वर्ष 2028 में अमेरिका लॉस एंजिलिस में ओलंपिक का आयोजन करने वाला है। इस ऐलान के बाद अब कई सवाल उठने वाले हैं।

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जबरदस्त कूटनीतिक मुहिम

चीन का दावा है कि खेल के राजनीतिकरण का विरोध अमेरिका करता है, लेकिन वह खुद भी अमेरिका खेल संघों को दंडित कर चुका है। चीन के बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक में वैश्विक नेताओं की मौजूदगी के लिए जबरदस्त कूटनीतिक मुहिम छेड़ी हुई है। अमेरिका ने बंधुआ मजदूर और नरसंहार के बारे में चीन पर झूठे आरोप लगाए। उनका कहना है कि बाइडेन प्रशासन द्वारा लगाए गए आरोप निराधार है।

शीतकालीन पैरालिपिंग और ओलंपिक खेल दुनिया भर के खिलाड़ियों के लिए खेल का एक बड़ा मंच है। इसका राजनीतिकरण ओलंपिक आंदोलन और सभी एथलीटों के हितों को नुकसान पहुंचाना नहीं है। नाटो ने भी ऐलान किया है कि वह बाल्टिक सागर क्षेत्र में अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा रहा है। अमेरिका ने यूरोप में संभावित तैनाती के लिए 8500 सैनिकों को अलर्ट रहने का आदेश भी दिया है।

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