राजधानी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू में एक नया विवाद छिड़ गया है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के साथ इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले 2 साल के कोर्स के विद्यार्थियों के लिए एक नए पेपर को अनुमति दे दी गई है. इस निए पेपर नें दिल्ली समेत देह के कई राज्यों में एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल की 17 अगस्त को बैठक आयोजित हुई जिसमें अंतिम मुहर इस विषय पर लगा दी गई.
जेएनयू में अंतर्राष्ट्रीय संबंध यानि इंटरनेशनल रिलेशन इंजीनयरिंग के छात्रों को पढाया जाता है, इसी में एक नया विषय रखा गया है जिसे “काउंटर टेररिज्म यानि आतंकवाद विरोध” के रूप में जाना जाएगा। हालांकि इसे ऐच्छिक पेपर को में रखा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस पेपर में इंजीनयरिंग की कोर्स में अध्यनरत विद्यार्थियों को आतंवाद से निपटने की कला को पढ़ाया जाएगा। इसके अलावा इसमें दुनिया की शक्तियों की भूमिका क्या हो? इन तमाम विश्वयवार को इस पेपर में शामिल किया गया है।
विवाद उठने की वजह चौका देनी वाली है। दरअसल में इस पेपर में जो विषय वस्तु रखी गई है उसको लेकर ही विवाद छिड़ा है। विवाद की शुरुआत इस विषय में धार्मिक आतंकवाद के मसले पर हुई है। दरअसल, इस पेपर पर आरोप लगाए जा रहे हैं इसमें कहा गया है कि “इस्लामिक जिहादी आतंकवाद” ही “कट्टरवादी धार्मिक आतंकवाद” का एकमात्र रूप है. कम्यूनिस्ट पृष्ठभूमि वाले देश उन्हें ऐतिहासिक तौर पर मसलन चीन और सोवियत यूनियन प्रश्रय देते रहे हैं और इन्हीं के प्रभाव की वज़ह से कई कट्टर इस्लामिक देश प्रभावित भी हुए हैं.
बता दें कि इस विषय के प्रस्ताव को जब एकेडमिक काउंसिल के सामने प्रस्तुत किया गया तो वहां मौजूद कई सदस्यों ने इसके खिलाफ विरोध दर्ज कराया। इसके बावजूद भी काउंसिल ने नए विषय पर अपनी मुहर लगा दी.
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