दिल्ली में स्कूल खुलने के साथ ही इस पर राजनीति शुरू हो गई है। आने वाले यूपी, उत्तराखंड चुनाव में हिस्सा लेने वाली आम आदमी पार्टी वहां के स्कूलों की तुलना अपने स्कूलों के करने की कोशिश कर रही है। स्कूलों को लेकर एक दूसरे को वाद-विवाद, अवलोकन के लिए चैलेंज दिया जा रहा है। इस दौरान स्कूलों के ट्यूशन फीस के अलावा मनमानी फीस वसूलने का मामला भी तेज हो गया है। आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच स्कूलों को लेकर तकरार के बाद आखिरकार दस महीने बाद दिल्ली के स्कूल खुले हैं। दसवीं और बारहवीं की मई में परीक्षा के कारण स्कूल खोले गए हैं और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। इससे छात्र बेहद खुश हैं। इससे पहले स्कूलों को लेकर काफी घमासान मच गया है। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जब स्कूलों की हालत देखने लखनऊ गए तो उन्हें रोक दिया गया था। पुलिस ने उन्हें स्कूलों में नहीं जाने दिया था। उत्तराखंड में भी मनीष सिसोदिया ने स्कूल और अस्पताल को लेकर लोगों को डिबेट में आमंत्रित किया। इसके बाद दोनों पार्टियों के बीच एक दूसरे पर तंज कसते हुए ट्वीटों का दौर चल पड़ा। अब स्कूलों के खुलने के बाद दिल्ली सरकार दूसरे राज्यों के लोगों को यहां के स्कूल देखने के लिए आमंत्रित कर रही है। आम आदमी पार्टी ने सेल्फी विद सरकारी स्कूल की भी शुरुआत की। स्कूल खुलने का आम आदमी पार्टी ने समर्थन किया।

दिल्ली में स्कूल पर राजनीति

दिल्ली में स्कूलों के खुलने पर बीजेपी का कहना है कि वो विरोध नहीं कर रही है। वो केवल आश्वस्त होना चाहती है कि कोरोना गाइडलाइन का पालन हो। कोरोना काल में दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों से ट्यूशन फीस के अलावा दूसरे मद में फीस नहीं लेने को कहा था। मगर कई स्कूलों ने इसका पालन नहीं किया और अभिभावकों से कई मदों में फीस की मांग की गई। स्कूलों का कहना है कि इस बारे में दिल्ली सरकार के 18 अप्रैल के नोटिस का कोई मतलब नहीं है। कोरोना महामारी के बाद 10 महीने बाद दिल्ली में स्कूलों के खुलने से छात्र काफी खुश हैं। उनका कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई में वो कई पेचीदा मुद्दे समझ नहीं पाते थे। ऑफलाइन पढ़ाई में बेहतर तरीके से वो अपनी समस्याओँ को समझ सकते हैं। कोई हिस्सा समझ में नहीं आए तो दोबारा पूछा जा सकता है।

स्कूल खुलने से किसको दिक्कत ?

दिल्ली सरकार ने स्कूल आने के लिए छात्रों के अभिभावकों की मंजूरी को अनिवार्य कर दिया था। ज्यादातर अभिभावकों ने मंजूरी दे दी है। स्कूल में प्रार्थना सभा यानी एसेंबली नहीं हो रही है, कैंटीन बंद है, परिवहन सुविधा भी नहीं है। निजी स्कूलों ने बच्चों से कोरोना टेस्ट रिपोर्ट मांगी है। वहां कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। बच्चे मास्क लगा रहे हैं, सोशल डिस्टेंसिंग भी रखी जा रही है। हाथों को सेनिटाइज किया जा रहा है। फिजिकल एक्टिविटी बंद है। साफ है कि बीजेपी आम आदमी पार्टी के काम से खुश है और किसी भी तरह की किसी को कोई दिक्कत नहीं है। मगर ऐसे में बीजेपी आम आदमी पार्टी के नेताओं को अपने यहां के स्कूलों का जायदा क्यों नहीं लेने दे रही है ये सवाल हर तरफ उठ रहा है।

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