पूरे विश्व में जब से कोरोनावायरस का कहर फैला है। तब से ही हालात नॉर्मल नहीं हो रहे हैं। हालांकि भारत में अभी कोरोना की रफ्तार थोड़ी धीमी है, परंतु फिर भी WHO बार-बार आगामी लहर के लिए भारत को ही नहीं बल्कि पूरे विश्व को सचेत कर रहा है। भारत सरकार ने भी कोरोना से निपटने के लिए वैक्सीनेशन की रफ्तार को तेज की है। इसी कड़ी में WHO ने यूरोप को भी सचेत किया है। दरअसल यूरोप में मौजूदा समय में डेल्टा वेरियंट का प्रकोप फैला हुआ है। परंतु बावजूद इसके यहां पर लोगों ने मास्क पहनने में और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में कोताही बरती हुई है।

हालात इतने बिगड़ गए हैं कि अब WHO को खुद ही चेतावनी जारी करनी पड़ी है। हाल ही में जारी किए गए अपने अपडेट के अनुसार संगठन ने कहा है कि ठंड के बाद यूरोप में 7 लाख मौतें और हो सकती हैं। यह अनुमान सिर्फ यूरोप को लेकर ही नहीं लगाया गया बल्कि इसके अंतर्गत 53 और देश शामिल है। यह चेतावनी जारी करते हुए संगठन ने यह भी कहा कि मौजूदा समय में लोग कोरोनावायरस को हल्के में लेते हुए सुरक्षा संबंधी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ना सिर्फ लोगों की इस लापरवाही के प्रति चेतावनी जारी की है बल्कि ये भी कहा है कि जिन लोगों की इम्यूनिटी हद से ज्यादा कम है। उनको अति संवेदनशील डोज लगाने की जरूरत पड़े। उन लोगों को भी डोज लगानी पड़ सकती है जिनकी आयु 60 साल से ज्यादा है।

आखिर क्यों यूरोप में एक बार फिर बड़ी महामारी

WHO के द्वारा दी गई चेतावनी के बीच में यह सवाल बेहद अहम है कि आखिर अचानक यूरोप में कोरोना के मामले कैसे बढ़ गए? बता दें कि इसके पीछे तीन प्रमुख कारण है। सबसे पहला और अहम कारण है कि यूरोप में मौजूदा समय में डेल्टा वेरिएंट का प्रकोप है। जिसके कारण वायरस तेजी से फैल रहा है। इस बीच लोगों ने मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में भी लापरवाही बरती हुई है और तीसरी सबसे बड़ी वजह विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा जो बताई गई है, वह लोगों द्वारा वैक्सीनेशन करवाने में लापरवाही बरतना है। यही वजह है कि यूरोप के कई अस्पतालों में अब भी आईसीयू बेड की कमी बनी हुई है और हो सकता है कि आने वाले समय में यह वायरस और प्रभावी ढंग से लोगों को अपना शिकार बनाया जिसकी वजह से 2 लाख मौतें होने का अंदाजा लगाया गया है।

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