नई दिल्ली ब्यूरो: भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अपनी बुनी जाल में खुद फंस गए हैं. ओली लगातार भारत के साथ संबंध खराब करने व चीन के साथ दोस्ती बढ़ाने को लेकर कई दिनों से सुर्खियों में थे। लेकिन केपी शर्मा ओली की पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के नेता पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने केपी शर्मा ओली से इस्तीफे की मांग कर दी थी. जिसके बाद नेपाल की राजनीति में एक नया बहस शुरु हो गया. कहा तो ये भी जाने लगा था की ओली को सीधे तौर पर चीन से समर्थन मिल रहा है और चीन की नेपाल में राजदूत हाओ यांकी ओली की कुर्सी बचाने के लिए मदद कर रही हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को एक बार फिर से नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी(नेकपा) स्टैंडिंग कमेटी की बैठक को एक सप्ताह के लिए टाल दिया गया है। बताया जा रहा है की इस बैठक के बाद चीन परस्त ओली की किस्मत का फैसला हो जाएगा।

इसके पहले भारत ने नेपाल के आंतरिक मामले पर टिप्पणी से इंकार किया था। लेकिन भारत नेपाल में होने वाली हरकत पर पूरी तरह से अपनी नजर बनाए हुए है। नेपाल की राजनीति में शुरु हुए उथल-पुथल पर काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास की नजर है।

ओली के पास सरकार बचाने के लिए क्या विकल्प है :
खबरों की माने तो केपी शर्मा ओली अपनी सरकार बचाने के लिए विकल्प ढूंढ़ रहे हैं। इसी कोशिश में वो बार-बार पार्टी की मिटिंग को टाल रहे हैं. ओली ने स्टैंडिंग कमिटी की बैठक को टालने के पीछे देश के ज्यादातर हिस्सों में हो रही भारी बारिश और बाढ़ जैसे हालात को कारण बताया है। वो बार-बार मिटिंग में देर से पहुंचते हैं।

नेकपा में विवाद क्या है:
पार्टी के वरिष्ठ नेता पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ओली से सीधे तौर पर इस्तीफा मांग चुके हैं। लेकिन ओली प्रयास कर रहै हैं की प्रचंड उनकी बातों को मान जाए हालांकी प्रचंड अपनी रुख को साफ कर चुके है। प्रचंड का मानना है की ओली सरकार में देश में विकास नही हो पा रहा और कोरोना वायरस का जब संक्रमण देश में फैल रहा था तो सरकार ने उस संकट में देश की जनता को अकेले छोड़ दिया। हालांकी उन्होने ओली की विदेश नीति पर सवाल तो नही उठाए लेकिन आंतरिक मामलों में चीनी दखल को प्रचंड स्वीकार कर चुके हैं।

राष्ट्रवाद के मुद्देपर सत्ता में बने रहना चाहते हैं ओली:
भारत के लिंपियाधुरा, लिपुलेख, कालापानी पर अपना दावा ठोकने के बाद ओली ने नेपाली संसद से एक विवादित नक्शे को पास कर भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की लेकिन नेपाल के इस विवादित नक्शे को भारत ने खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होने भारत के साथ अलग-अलग जगहों पर विवाद करने की कोशिश की और फिर नेपाल की संसद में उन्होने एक और विवादित भारत विरोधी नागरिकता संशोधन बिल पेश कर दिया ।

नेपाल में चीनी राजदूत लगातार सक्रिय :
सूत्रों का कहना है की चीनी राजदूत हाउ यांकी लगातार नेपाली राजनीति में अपनी सक्रियता बनाये हुए हैं।  राजदूत ने प्रचंड से भी बात कर ओली की राह आसान करना चाहती थीं। लेकिन अभी उनको कामयाबी नही मिली। प्रचंड ने चीनी राजदूत से मुलाकात तो की लेकिन वो ओली के इस्तीफे वाली मांग पर अड़े रहे।

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