संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में कई देशों की एंट्री हुई है तो कई देशों के सपने पर पानी फिर गया है। हालांकि जिन देशों को इसका सदस्य बनाया गया है. उन देशों के मानवाधिकार को लेकर रिकॉर्ड अच्छे नहीं रहे हैं। फिलहाल इन देशों का ऐक्टिविस्ट सदस्यता को लेकर विरोध दर्ज करवा रहे हैं। इसमे कई देश ऐसे भी हैं जिनको सदस्यता नही मिली तो वो परेशान हो गए हैं। सऊदी के इसमें शामिल ना होने के कारण लोग अब उसके मानवाधिकार को लेकर किए गए कार्यो पर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं कुछ लोग सऊदी की खराब होती छवी को इसके लिए जिम्मेदार बताया। इसमें रूस और क्यूबा निर्विरोध चुने गए जबकि चीन और सऊदी अरब के बीच कड़ा मुकाबला हुआ।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की सदस्यता को लेकर इस बार बहुत मतभेद देखने को मिला। फिलहाल चलिए आपको बताते हैं कि कैसे इसका चुनाव होता है। दरसल संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के लिए उम्मीदवारों को भौगोलिक कोटे के आधार पर गुप्त मतदान द्वारा चुना जाता है इसका मकसद सभी क्षेत्रों से प्रतिनिधित्व रखना है। दरसल इस बार एशिया-प्रशांत क्षेत्र से चार देश चुने जाने वाले थे। इसके लिए पांच देशों ने अपनी दावेदारी पेश की थी जिसमें सऊदी अरब भी था। इस चुनाव में 193 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा लिया जिसमें पाकिस्तान को 169 मत मिले, उजबेकिस्तान को 164, नेपाल को 150, चीन को 139 और सऊदी अरब को सिर्फ 90 वोट मिले।

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