तालिबान के कानून से कौन नहीं वाकिफ है? तालिबानी कानून के खौफ से हर कोई कांपता है। एक बार फिर तालिबान ने उत्तरी अफगानिस्तान में अपना खौफनाक और कट्टर फरमान जारी कर दिया है। तालिबान ने उत्तरी अफगानिस्तान के एक जिले पर कब्जा जमाने के बाद स्थानीय इमाम को एक पत्र के जरिये अपना पहला आदेश जारी किया है।

फरमान में कहा गया है कि महिलाएं मर्दों के बिना बाजार नहीं जा सकती हैं, और पुरुषों को अपनी दाढ़ी रखनी है। तालिबान ने सिगरेट, बीड़ी पीने पर भी रोक लगा दी है और चेतावनी दी है कि अगर किसी ने नियम-कायदों का उल्लंघन किया तो उनके साथ गंभीरता से निपटा जाएगा। अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। जिलों और देश की प्रमुख सीमाओं पर कब्जा कर रहे हैं और प्रांतीय राजधानी की घेराबंदी कर रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में वे फिर से इस्लामी शासन की कठोर व्यवस्था लागू कर रहे हैं।

पिछले महीने, तालिबान ने एक उत्तरी सीमा शुल्क चौकी शिर खान बंदर पर कब्जा कर लिया था। पंज नदी पर अफगानिस्तान को ताजिकिस्तान से जोड़ने वाले अमेरिका निर्मित पुल पर यह चौकी स्थित है. एक फैक्टरी में काम करने वाली सजदा ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि शिर खान बंदर पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने महिलाओं को अपने घरों से बाहर नहीं निकलने का आदेश जारी किया है। सजदा ने बताया कि कई महिलाएं और युवा लड़कियां कढ़ाई, सिलाई और जूता बनाने का काम कर रही थीं, लेकिन तालिबान के आदेश से अब वे सब डरी, सहमी हुई हैं।

तालिबान ने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन किया. उस दौरान महिलाओं को घर के अंदर रहने का आदेश था, जब तक कि कोई पुरुष रिश्तेदार साथ न हो, उन्हें बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति नहीं थी, और व्यभिचार जैसे अपराधों में दोषी पाए जाने वालों को मौत के घाट उतार दिया जाता था। तालिबान न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 हमले के बाद अमेरिका के निशाने पर आया।

महिलाओं की अपेक्षाकृत मर्दों को ज्यादा आजादी थी, लेकिन उन्हें दाढ़ी बनाने की मनाही थी। नमाज में शामिल नहीं होने पर लोगों को पीटा जाता था और सबको पारंपरिक पोशाक पहनने को कहा जाता था।अफगानिस्तान बेहद रूढ़िवादी है और देश के कुछ ग्रामीण इलाके तालिबान की निगरानी के बिना भी इसी तरह के नियमों का पालन करते हैं।

इस सप्ताह सोशल मीडिया पर वायरल तालिबान के कथित बयान में ग्रामीणों को अपनी बेटियों और विधवाओं की शादी विद्रोही लड़ाकों से करने का आदेश दिया गया है। तालिबान के कल्चरल मिशन के नाम से जारी पत्र में कहा गया है कि कब्जे वाले इलाकों के सभी इमाम और मुल्ला तालिबान को 15 साल से ऊपर की लड़कियों और 45 साल से कम उम्र की विधवाओं की सूची तालिबान लड़ाकों से शादी के लिए मुहैया कराएं।

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