तो क्या अब आप प्राइम टाइम में अपने चहेते पत्रकार रवीश कुमार को नहीं देख पाएंगे। ये हम नहीं कह रहे ये विश्लेषण है सोशल मीडिया का, आपने भी शायद मोबाइल में फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर या इंस्ट्राग्राम में ऐसी खबरों को पढ़ा होगा यानी आडानी गुप्र मंगलवार सुबह से ही सोशल मीडिया पर ट्रेंड हो रहा है। लेकिन इस बात पर कितनी सच्चाई है और इस बात से शेयर्स बाजार का क्या लेना देना है ये सब हम आपको विस्तार से बताते हैं। दरअसल, कहा ये जा रहा कि अडानी गुप्र एनडीटीवी को खरीदने जा रहा है। सोशल मीडिया पर एक अफवाह फैली थी कि, अडानी गुप्र दिल्ली में एक न्यूज चैनल का अधिग्रहण करने जा रहा है, लोगों ने एनडीटीवी का नाम लेना शुरू कर दिया। बस फिर क्या था रवीश कुमार का इस्तीफा भी लोगों ने सोशल मीडिया में ही करवा दिया। हालांकि इस अफवाह से एनडीटीवी को फायदा बहुत हुआ है।

NDTV को अफवाह का फायदा

अडानी ग्रुप के एनडीटीवी खरीदने के अटकलों का फायदा शेयरों में साफ दिखा। बता दें NDTV का वित्तीय प्रदर्शन खराब रहा है। कंपनी के प्रमोटर भी कर जांच के दायरे में हैं। हालांकि, पिछले एक साल में शेयर में 130 फीसदी की तेजी आई है। बीएसई पर मंगलवार को एनडीटीवी का शेयर 7.20 रुपये उछल कर 79.65 रुपये पहुंच गया। वहीं, एनएसई पर यह 7.25 रुपये की छलांग के साथ 79.85 रुपये पर पहुंच गया। दोनों एक्सचेंजों में आज 10 फीसद का अपर सर्किट लग चुका है। बता दें अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा समूह की मीडिया पहल का नेतृत्व करने के लिए अनुभवी पत्रकार संजय पुगलिया को सीईओ और प्रधान संपादक के रूप में शामिल किए जाने के बाद से बाजार में अडानी का मीडिया क्षेत्र में प्रवेश हो गया है। लेकिन अडानी ग्रुप का एनडीटीवी में कोई प्रवेश नहीं हुआ है। दो दिनों में एनडीटीवी के शेयरों में 20 फीसदी का उछाल आया है। शेयर से तेजी से कंपनी के निवेशकों को बड़ा फायदा हुआ है और उनकी दौलत करीब 100 करोड़ रुपये बढ़ गई है। दो दिन में निवेशकों को 98 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है। कंपनी का मार्केट कैप 564.77 करोड़ रुपये हो गया। Economic Times के मुताबिक, अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड द्वारा NDTV को खरीदा जा रहा है। इस खबर के छपते ही, एनडीटीवी के शेयर्स में जबरदस्त तेजी देखी गई और यह 10% के अपर सर्किट तक चले गए। शेयर बाजार में अडानी ग्रुप की 6 कंपनियां लिस्टेड है और जिनमें से एक है अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड। ऐसे में BSE ने तुरंत ही अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को क्लारीफिकेशन नोटिस भेज दिया। अब देखना ये है कि अडानी ग्रुप कब तक और क्या जवाब देता है।

अफवाहों पर एनडीटीवी का पक्ष

एनडीटीवी ने ट्रेंड हो रही खबरों के बीच अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि, नयी दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड के संस्थापक प्रवर्तक, पत्रकार राधिका और प्रणय रॉय ने एनडीटीवी के स्वामित्व में बदलाव या हिस्सेदारी बेचे जाने के संदर्भ में किसी भी संस्था के साथ बातचीत न तो अभी कर रहे हैं और न की है। दोनों व्यक्तिगत रूप से और अपनी कंपनी आरआरपीआर होल्डिंग्स प्राइवेट लि. के जरिये एनडीटीवी में कुल चुकता शेयर पूंजी का 61.45 प्रतिशत हिस्सेदारी रखे हुए हैं। एनडीटीवी ने आगे बताया कि, उसे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि शेयर में अचानक से उछाल क्यों आया। उसने कहा, एनडीटीवी आधारहीन अफवाह पर लगाम नहीं लगा सकती और न ही इस प्रकार की आधाहीन अटकलों में शामिल होती है। वही दूसरी तरफ रवीश कुमार के इस्तीफे की खबरें भी तेजी से वायरल होने लगी। लेकिन रवीश कुमार द्वारा इस्तीफ़े की खबर झूठी निकली। एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में रवीश कुमार ने बताया कि वे इस वक्त आफिस में हैं और खबर टाइप कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सम्भव है किसी वेब साइट ने हिट्स पाने के चक्कर में उल्टी सीधी न्यूज़ चला दी हो।

संजय पुगलिया कौन, क्या चर्चाएं ?

पिछले दिनों अडानी ग्रुप ने वरिष्ठ पत्रकार संजय पुगलिया को लेकर एक प्रेस रिलीज जारी की थी, जिसमें बताया गया था कि अडानी ग्रुप ने कंपनी के अपकमिंग मीडिया वेंचर के लिए संजय पुगलिया को चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर यानी एडिटर इन चीफ पद पर नियुक्त किया है। इस खबर के बाद, शेयर बाजार, राजनैतिक और मीडिया जगत के गलियारों में चर्चा तेजी से शुरु हो गई कि अडानी ग्रुप क्या नया मीडिया वेन्चर लांच कर रहा है या फिर, किसी पुराने मीडिया हाउस को खरीद रहा है। बस यहीं से एनडीटीवी का नाम भी अफवाहों के बाजार में तेजी से वायरल हो जाता है। पुगलिया इससे पहले क्विंट डिजिटल मीडिया के अध्यक्ष और संपादकीय निदेशक थे। इससे पहले उन्होंने सीएनबीसी-आवाज का नेतृत्व किया। पुगलिया ने हिंदी में स्टार न्यूज़ की स्थापना की। पुगलिया ज़ी न्यूज़ के हेड रहे और आजतक की संस्थापक टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं। एक प्रिंट मीडिया के पत्रकार के रूप में उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड और नवभारत टाइम्स के साथ काम किया है। 1990 के दशक के दौरान बीबीसी हिंदी रेडियो में भी उनका नियमित योगदान था।

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