ऑस्ट्रेलिया में ऐसा फंगस पैदा हुआ है जो विलुप्त होने की कगार पर है। इसे देखने से ऐसा लगता है यह किसी जॉम्बी की उंगलियां है यानी किसी मृत व्यक्ति की सड़ी हुई उंगलियाँ। ये ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी तट के पास एक द्वीप पर टूटे और गिरे हुए पेड़ों पर पैदा हुए हैं।

जॉम्बी फिंगर को वैज्ञानिक भाषा में हाइपोक्रिपोसिस एम्प्लेकटेंस कहते हैं। इसे देखकर लगता है कि जंगल में गिरे पेड़ों पर उंगलियां उभर कर बाहर आ गई है। इस फंगस को देखकर ये मृत इंसान के सड़ी हुई उंगलियों जैसा आभास कराता है।

ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में कुछ गिने-चुने स्थानों पर ही जॉम्बी फिंगर टी ट्री फिंगर दिखाई देते हैं। यह बेहद दुर्लभ होते हैं ऑस्ट्रेलियन रॉयल बोटैनिक गार्डेंस विक्टोरिया ने इस बात की जांच की और पुख्ता किया कि ऑस्ट्रेलिया में दो अन्य स्थानों पर भी जॉम्बी फिंगर्स गिरे हुए पेड़ों के तनों को जकड़ कर रखते दिखाई दिए हैं।

आरबीजीवी के शोधकर्ता माइकल अमोर के मुताबिक इसे पहली बार देखे तो लोग डर ही जाएंगे। लेकिन इसका यह आकार और आकृति ही इसे पनपने में सरवाइव करने में मदद करती है। यह टूटे और उखड़े हुए पेड़ों पर रुकता है। इस पैरासाइट फंगस की उंगलियों के गड्ढे और इन्हें टूटने दरार और गिरने से बचाते हैं।

https://twitter.com/Dahmerscookpot/status/1408359990944055297?s=19


RBGV के बयान के मुताबिक विक्टोरिया फ्रेंच आईलैंड में स्थित संरक्षित नेशनल पार्क में टी ट्री पर जॉम्बी फिंगर पैरासाइट फंगस देखे गए हैं। इस पार्क में एक ही जगह पर करीब 100 से ज्यादा जॉम्बी फिंगर्स मिले हैं। ऑस्ट्रेलिया में सभी स्थानों पर मिलने वाले जॉम्बी फिंगर में से सबसे ज्यादा है। माइकल अमोर कहते हैं कि इतनी ज्यादा मात्रा में मिलने वाले जॉम्बी फिंगर्स को देखकर लगता है कि हमें भविष्य में पैरासाइट फंगस के बारे में ज्यादा अध्ययन करने को मिलेगा, क्योंकि आमतौर पर जलवायु परिवर्तन और बढ़ती गर्मी की वजह से ऐसे विलुप्त जीव खत्म हो रहे हैं।

टी ट्री फिंगर यानी जॉम्बी फिंगर पैरासाइट पंगत एक विशेष स्थिति में ही पनपते हैं। अगर इस परिस्थिति में जरा सा भी ऊपर नीचे होता है तो यह नहीं होते। उनके लिए खास पेड़ ही जन्मस्थली होता है। पर्याप्त मात्रा में अंधेरे और रोशनी का मिश्रण और उपयुक्त आद्रता की जरूरत होती है। अगर आसपास पेड़ों का घनत्व कम हो तब भी यह नहीं उगते।

Share.
Exit mobile version