आजकल की लाइफस्टाइल ऐसी है कि लोगों को स्वास्थ्य तो रहना है लेकिन उनके पास समय नहीं है। हर कोई चाहता है कि वो निरोगी हो और लंबा जीवन जिए। लेकिन बिना शरीर का ध्यान रखें कोई कैसे लंबा जीवन जी सकता है। वैज्ञानिकों ने इस समस्या का भी हल ढूंढ निकाला है। वैज्ञानिकों ने मनुष्य के शरीर से जुड़ी एक हैरतअंगेज खोज की है जिसमें दावा किया जा रहा है कि मनुष्य 120 साल तक जी सकता है। ये मानव जीवन की एक आनुवंशिकी खोज है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ सर शंकर बालासुब्रमण्यम ने आनुवंशिक अनुक्रमण के एक नए रूप का आविष्कार किया है, जिससे डॉक्टरों के लिए बीमारियों का जल्द पता लगाना आसान हो गया है।

जिनोम सीक्वेंसिंग के जरिए होगा बीमारियों का इलाज


इससे डॉक्टर जीन की सहायता से पहली स्टेज पर ही बीमारी को पकड़ सकते हैं और हालात बिगड़ने से पहले उसका इलाज कर सकते हैं। इसके जरिए इंसान की लाइफ भी बढ़ जाएगी। जिनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing) के जरिए डॉक्टर्स किसी भी इंसान की जीन को जांच कर उसकी बीमारी का पता काफी पहले लगा सकते हैं। ये खोज अब तक की वैज्ञानिकों की खोज में सबसे दुर्लभ और सफल है। इस खोज से अद्भुत तकनीक की मदद से बच्चों के जीन का अध्ययन करने वालों को बौद्धिक अक्षमताओं और विकास में देरी का पता लगाने में भी मदद मिलेगी।

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120 साल कर बढ़ सकती है उम्र


फिलहाल तो जीनोम अनुक्रमण के विकास में ये पहली खोज है लेकिन संभावना है कि आगे इसके इस्तेमाल से 120 साल तक की लाइफ लाइन हो सकती है। सर शंकर के नवीनतम आविष्कार में तथाकथित अगली पीढ़ी की अनुक्रमण शामिल है जो तकनीक की प्रगति में एक आगे का कदम है। यह डॉक्टरों को हमारे जीन की रीढ़ बनाने वाले प्रमुख अक्षरों (ए, सी, टी और जी) को स्कैन करके पहले से कहीं अधिक विस्तार से डीएनए का अध्ययन करने देता है।उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अब वो समय दूर नहीं है जब हम सिर्फ जिनोम सीक्वेंसिंग ही नहीं, एपीजिनोम सीक्वेंसिंग के जरिए भी बीमारियों का पता लगा पाएंगे. इस खोज के आधार पर सर शंकर की कंपनी कैंब्रिज एपिजेनेटिक्स किसी भी मरीज के जीन का अध्ययन कर के उसकी बीमारी के लिए अलग से दवाइयां बनाने में कामयाब होगी।

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