वैज्ञानिकों को म्यांमार में 2015 में एक अमर केकड़ा मिला था, जिसे क्रेटाशियस काल से भी पुराना बताया जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार इसकी उम्र लगभग 9.50 करोड़ साल से लेकर 10.5 करोड़ साल की है। वैज्ञानिक इसे अमर केकड़ा इसलिए नहीं कह रहे क्योंकि यह जिंदा है बल्कि इसलिए कह रहे है क्योंकि करोड़ों सालों के बाद भी इसका शरीर सही सलामत है।

वैज्ञानिकों ने इसे क्रेटस्पारा अथानाटा नाम प्रदान किया है, यह नाम अमर केकड़े के उभयचर जीवन और जगह के नाम पर दिया गया है। क्रेटस्पारा अथानाटा का अर्थ होता है “अथानाटा अर्थात अमर, क्रेट यानी खोल वाला और अस्पारा यानी दक्षिण-पूर्व एशिया में बादलों और पानी के देवता का नाम।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर जेवियर लूक ने बताया कि अमर केकड़ा बहुत दुर्लभ है क्योंकि अकसर वैज्ञानिकों को अंबर में कीड़े, मकोड़े, पक्षी और सांप आदि का शरीर जकड़ा हुआ मिलता है, यह सभी ज़मीन पर रहने वाले जीव हैं। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई पानी का जीव अंबर में जकड़ा हुआ मिला।

रिसर्चर जेवियर लूक ने आगे कहा कि अमर केकड़ा 2 एमएम का है, इसका शरीर अंबर के अंदर पूरी तरह सुरक्षित मिला है। कई बार विलुप्त हो चुके जीवों का मॉडल बनाना इसलिए कठिन होता है क्योंकि हमें उनका असली आकार नहीं पता होता। अमर केकड़े के शरीर का एक भी अंग खराब नहीं हुआ है, जिसने हमें काफ़ी हैरान किया।

रिसर्चर जेवियर लूक और उनकी पूरी टीम ने अमर केकड़े का एक्स-रे किया, जिसके बाद उसके शरीर का थ्रीडी मॉडल बनाया गया। इस मॉडल के जरिए वह लोग अमर केकड़े के शरीर का विस्तार रूप से अध्ययन कर पाएंगे। रिसर्च में अब तक यह पता चला है कि यह इस वक्त के केकड़ों का असल पूर्वज है। आपको जानकर हैरानी होगी कि सभी केकड़े असली नहीं होते है कुछ इनमें नकली भी होते है जैसे अनोमूरा, किंग क्रैब और हर्मिट क्रैब।

अनोमूरा ग्रुप के क्रैब अक्सर चलने के लिए अपने सिर्फ़ तीन पैरो का उपयोग करते है। तो वहीं असली केकड़े जिसमे ब्राचयूरा केकड़ों का समूह आता है, वह चलने के लिए अपने चारों पैरों का उपयोग करते है। जो यह दिखाता है कि अमर केकड़ा असल केकड़ों का पूर्वज है।

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वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती पर असली और नकली केकड़े कुल पांच बार विकसित हुए है। एक जर्नल के अनुसार केकड़ों के विकसित होने को कार्सिनिजेशनकहा जाता है, सबसे पहला केकड़ा जो इंसानों को अब तक पता चला है वह आज से 20 करोड़ साल पहले जुरासिक काल में विकसित हुआ था। इस काल में केकड़ों की सभी प्रजातियों में इवोल्यूशन की प्रक्रिया सक्रिय थी।

जो अमर केकड़ा वैज्ञानिकों को मिला है वह क्रेटाशियस क्रैब रिवोल्यूशन के बीच का बताया जा रहा है, इस बात का अब तक अनुमान नहीं लगाया जा सका है कि आखिर यह अंबर के अंदर कैसे आया। इवोल्यूशनरी फिजियोलॉजिस्ट जॉन कैंपबेल ने बताया कि अमर केकड़ा साफ़ पानी में रहने वाला केकड़ा हो सकता है या फिर यह भी हो सकता है कि यह समुंद्र, जंगल और साफ पानी तीनों जगह में रहने में सक्षम हो।

अमर केकड़े को 2015 में खोजा जा चुका था लेकिन यह वैज्ञानिकों तक दो साल के बाद 2017 में पहुंचा, जिसके बाद इसका अध्ययन आरंभ किया गया। इस पूरे अध्ययन के दौरान म्यांमार की मिलिट्री बिल्कुल भी खुश नहीं दिखाई दे रही थी। जिसकी वजह से वैज्ञानिकों को काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लेकिन आखिर में जाकर वह म्यांमार की मिलिट्री को मनाने में कामियाब हो ही गए और उन्हें अमर केकड़े पर अध्ययन करने की अनुमति मिल गई।

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