दुनिया में अगर कोई सबसे घिनौना काम है तो वो है किसी भी इंसान के मांस को खाना। लेकिन वक्त-वक्त ऐसे कई मामले सामने आते रहे हैं। जब किसी इंसान ने दूसरे इंसान को मारकर उसके शरीर के अंगों का खाया है। पूरी दुनिया से ऐसे कई मामले सामने आते रहे हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक आदमखोर की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसने 9 दिन तक अपनी ही बेटी के मांस को खाया। इस घटना को सुनने में ही किसी का भी दिल दहल जाए कि कैसे एक पिता अपनी हा बेटी के मांस को खा सकता है।

बता दें कि अपनी ही बेटी का मांस खाने वाले इस हैवान पिता का नाम है अल्बर्ट फिश जिसको दुनिया ब्रुकलिन वेम्पायर के नाम से जानती है। कहा जाता है कि फिश को बच्चों का उत्पीड़न करके खुशी मिलती थी। बच्चों का अपहरण कर उनका रेप करना और उसके बाद उनके शरीर के अंग खाना उसकी आदत बन गई थी। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि फिश ने 100 से ज्यादा बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाया है।

साल 1870 अमेरिका के वाशिंगटन में जन्में फिश की दिमागी बीमारी का एक लंबा इतिहास रहा है। फिश के किस्से इतने खतरनाक थें कि उसने अपने गंदे इरादों को अंजाम देने के लिए एक परिवार से सिर्फ इस लिए दोस्ती की ताकि वो उस घर की बच्ची को अपना शिकार बना सके और ऐसा ही हुआ फिश ने ग्रेसी नाम की उस बच्ची को अगवा कर लिया। वैसे तो फिश ग्रेसी को अपनी बेटी मानता था लेकिन उसके सर पर हैवानियत का भूत सवार था और उसी हैवानियत के चलते फिश ग्रेसी की हत्या कर उसे मारकर खा गया।

ग्रेसी के माता-पिता उसे ढूंढ कर थक चुके थे और उसके बाद ग्रेसी कभी नहीं लौटी। काफी टाइम के बाद ग्रेसी के माता-पिता को एक खत मिला जिसमें फिश ने अपने आदमखोर होने की पूरी दास्ता सुनाई। जिसको पढ़कर ग्रेसी के माता-पिता के पैरों चले जमीन खिसक गई। खत में लिखा था कि एक दिन मेरा दोस्त मुझे ऐसी जगह ले गया जहां जानवरों के मांस के साथ इंसानों का भी मांस मिलता था वहां इंसानी मांस खाकर मुझे भी उसकी लत गई और मैंने ग्रेसी को देखा तो मुझे अपना सपना सच होता नजर आया। मैं झूठ बोलकर ग्रेसी को अपने साथ एक सुनसान जगह पर ले गया जहां पहले मैंने अपने पूरे कपड़े उतारे और फिर ग्रेसी के लेकिन वो मेरे काबू में नहीं आ रही था इसलिए मैंने उसका गला दबाकर उसकी हत्या कर दी।

उसके बाद मैंने 9 दिन तक ग्रेसी का मांस खाया। हालांकि मैंने कभी उसके साथ सेक्स नहीं कि। ये खत पढ़कर ग्रेसी के माता-पिता पुलिस के पास पहुंचे। उसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की और आखिर कार पुलिस फिश को पकड़ने में कामयाब रही  और पुलिस ने उसे पकड़ लिया। उसके बाद 16 जनवरी 1936 को उसे उसकी हैवानियत की सजा देते हुए मौत की सजा सुना दी।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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