हम हजारों सालों से कहानी किस्सों में उड़ने वाले विमानों के बारे में सुनते आए हैं। महाभारत और पुराणों में भी इनके बारे में बताया गया है। लेकिन ये कोई नहीं जानता कि इन कहानियों में कितना सच है। लेकिन इससे ये जरूर पता चलता है कि इंसानों में पक्षियों की तरह उड़ने का लालच बहुत था। लेकिन विमान बनाकर उनके उड़ाने की कहानी ज्यादा पुरानी नहीं है।

सबसे पहले हमें लियोनार्दो द विंची के बारे में पता चलता है कि उन्होंने विमान का नक्शा बनाकर लोगों को इस बात का एहसास कराया कि वो भी पक्षियों की तरह उड़ सकते हैं। हवाई जहाज को उड़ाने का ख्याल उनके मन में पक्षियों को देखकर ही आया था।

सबसे पहले गैस के गुब्बारे में गर्म हवा भरकर उसे उड़ाने की कोशिश हुई। फिर गैस की जगह मशीन या इंजन का इस्तेमाल किया जाने लगा। इस तरह की उड़ान मशीन को ग्लाइडर नाम दिया गया। लेकिन मशीनों से ये उड़ान ज्यादा सफल नहीं हुई। ग्लाइडर उड़ते तो जरूर थे लेकिन हवा में ज्यादा देर तक नहीं रूक पाते थे। ये मशीन भी ऐसी थी जिसको अपनी मरजी से चलाया भी नहीं जा सकता था। इससे भी ज्यादा खराब ये था कि इस तरह के ग्लाइडर ज्यादातर दुर्घटना के शिकार हुए।

लेकिन कहा जाता है कि जब इस तरह की परिक्षाएं होने लगे तो समझ लेना चाहिए कि आप सफलता की सीढ़ी चढ़ने वाले हैं। विमानों की उड़ान को लेकर भी ऐसा ही हुआ। आखिरकार दो भाईयों ने जिन्हें राइट बंधु के नाम से जाना जाता है जहाज उड़ा कर दिखा ही दिया।

बता दें कि राइट बंधु अमेरिका के एक गरीब पादरी के बेटे थे। दोनों भाई साइकिल बनाने और उनकी मरम्मत का काम करते थे। इनमें बड़े भाई का नाम विलबर और छोटे का नाम ओरविल था। राइट बंधु के पास विज्ञान की कोई उच्च शिक्षा तो नहीं थी। लेकिन दोनों भाई बड़े धुनी थे और दोनों के मन में कुछ नया करने की बहुत चाह थी। जब राइट बंधुओं ने उड़ने वाले ग्लाइडर के बारे में सुना तो उनके मन में उत्सुकता हुई। वह चाहते थे कि उड़ने वाले ग्लाइडरों के काम करने के ढंग को वह जान लें। ताकि वह उसमें सुधार करके उसे हवा में लंबे समय तक उड़ा सके।

राइट बंधुओं ने साल 17 अगस्त 1903 में अपना पहला वायुयान उड़ाकर दिखाया। तट पर एक और लकड़ी के तख्त बिछा दिए गए थे और दूसरी और राइट बंधुओं द्वारा बनाया हुआ विमान खड़ा था। विमान खींचकर तख्तों पर लाया गया और मोटर चालू कर दी गई। सबके सामने विमान उड़ा और उसने 40 मीटर की उड़ान भरी और 40 मीटर उड़ने के बाद विमान वापस जमीन पर आ गया। इस तरह राइट बंधुओं ने कई उड़ाने भरी और इन उड़ानों को लोगों ने अपनी आंख से देखा।

जो कल तक सिर्फ जादू था अब वो हकीकत बनकर सबकी नजरों के सामने था। इसको सच होते हुए हजारों लोगों ने देखा। ये विज्ञान की एक ऐतिहासिक जात थी-विज्ञान का हमेशा याद रखा जाने वाला चमत्कार, राइट बंधुओं की इस खोज ने दुनिया का रूप ही बदल दिया। अब दुनिया के एक हिस्सें से दूसरे हिस्से जाने तक की दूरी अब दूरी नहीं रह गई थी। विमान के जरिए उन्हें सिर्फ कुछ ही घंटों में पार किया जा सकता है। आधुनिक सभ्यता राइट बंधुओं के इस अद्भूत आविष्कार को हमेशा याद रखा जाएगा।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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