यूपी की सबसे बड़ी सियासी परिवार की पार्टी समाजवादी पार्टी में एक बार फिर से घरेलू कलह देखने को मिल रहा है। साल 2017 से शुरू हुआ यह कलह पार्टी को काफी भारी पड़ रहा है ।2017 में सत्ता गंवाने वाली समाजवादी पार्टी का सबसे बड़ा कारण घरेलू कलह ही था अपनों का अपनों से मनमुटाव ही इतना ही भारी पड़ा कि 2022 में भी समाजवादी पार्टी को इस कलह के कारण हार का मुंह देखना पड़ा, लेकिन उसके बाद भी लगता है कि यह हालात अब संभलते हुए नहीं दिख रहे हैं। जिस तरह से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से मतभेद होने के बाद भी साथ मिलकर चुनाव लड़ा उसे देखकर तो यही लग रहा था शायद चाचा भतीजे के बीच यह मनमुटाव कम हो जाए। दोनों ने एक साथ चुनाव लड़ा 5 साल बाद शिवपाल और अखिलेश यादव एक साथ नजर आए मुलायम सिंह यादव को भी काफी खुशी थी कि उनका घर टूटते टूटते जो पार्टी पर भारी पड़ रहा था वह अब एक हो गया है, लेकिन ऐसा नहीं है सपा विधायक दल की बैठक में अखिलेश यादव को नेता प्रतिपक्ष तो चुन लिया गया लेकिन शिवपाल यादव को इस अहम बैठक का हिस्सा नहीं बनाया गया। जिसका उन्हें काफी दुख है उन्होंने उम्मीद नहीं की थी कि, भतीजा एक बार उनसे फिर ऐसा कुछ बर्ताव करेगा।

चाचा ने भतीजे पर उठाए सवाल

उन्होंने मीडिया के सामने आकर खुलकर कई सारी ऐसी बातें कहीं जो कि आने वाले समय में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए मुसीबत बन सकती है उन्होंने कहा कि वह 2 दिन से लखनऊ में ही है। इंतजार कर रहे थे कि इस बैठक में उन्हें बुलाया जाएगा लेकिन समाजवादी पार्टी की तरफ से ना तो उन्हें इस मीटिंग की जानकारी दी गई और ना ही उनसे कोई बात हुई जिसको लेकर शिवपाल यादव बेहद आहत हैं उन्होंने कहा कि वह भी तो सपा के विधायक है ऐसे में उन्हें नजरअंदाज करना पार्टी की मंशा को जताता है।

शिव पाल का दर्द
इसके साथ ही शिवपाल यादव ने कहा कि जब अपनों और परायों में भेद नहीं पता होता है तब महाभारत होती है। दुर्योधन के बजाय युधिष्ठिर शकुनि से जुआ खेलने लगे, यहीं से उनकी हार तय हो गई। सपा विधायकों में उनकी सबसे बड़ी जीत हुई है, इससे उनकी लोकप्रियता पता चलती है। सपा के इस बर्ताव को देख कर तो यही लगता है कि, शिवपाल भले ही अखिलेश यादव के कहने पर साइकिल पर चुनाव लड़कर विधायक बन गए, लेकिन कई साल पहले बनी खाई अब तक पट नहीं पाई है। या यूं कहें अब बन रहे रिश्ते फिर पटरी से उतरे दिख रहे हैं।

सपा की सफाई
मामले को बढ़ता देख सपा की तरफ से सफाई आई जो कि शायद शिवपाल यादव के गले ना उतरे सपा की तरफ से कहा गया कि,
सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने कहा है कि यह बैठक सपा की थी। इसमें हमारे सहयोगी दल प्रसपा, रालोद, जनवादी पार्टी, महान दल, सुभासपा किसी को नहीं बुलाया गया। सहयोगी दलों के साथ 28 को बैठक है। उसी में शिवपाल यादव समेत सभी सहयोगियों को बुलाया जाएगा। सपा की तरफ से आए सपा इस बयान ने एक बार फिर से चाचा और भतीजे के बीच लाइन खींची है जिसे देखकर साफ लगता है। कि यह मनमुटाव ऐसी ही चलता रहा तो आने वाले समय में चाचा अगर ऐसे ही नाराज रहे तो अखिलेश यादव के लिए पहली जैसी समस्या खड़ी हो जाएगी।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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