‘इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर होना, हम चलें नेक रस्ते पे हमसे,भूलकर भी कोई भूल हो ना…..ये गीत तो आपको याद होगा ही और याद हो भी क्यों न…..आज भी ये गीत देशभर के कई स्कूलों और जेलों में प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है। ये लोकप्रिय प्रार्थना गीत साल 1985 में रिलीज हुई फिल्म ‘अंकुश’ का है और इस गीत को लिखा था गीतकार और लेखक अभिलाष ने । लेकिन बीते दिन रविवार को अभिलाष का मुम्बई में गोरेगांव स्थित अपने घर में स्वर्गवास हो गया और आज सुबह 4:00 बजे उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। कोरोना वायरस महामारी को मद्देनज़र रखते हुए करीब 20 लोग ही उनके अंतिम संस्कार में शामिल हो पाये और ऐसे में बंगलुरू में रहनेवाले उनकी बेटी और दामाद भी उनकी अंतिम विदाई में शामिल नहीं हो पाये। इस दुखद खबर का पता चलते ही पूरे सिनेमा जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
74 वर्षीय अभिलाष की पत्नी नीरा ने एक वरिष्ठ न्यूज़ एजेंसी से बातचीत करते हुए बताया कि – इसी साल मार्च महीने में अभिलाष की पेट की अंतड़ियों का ऑपरेशन किया गया था, जिसके बाद से ही वे काफी कमजोरी महसूस करने लगे थे। इसी के चलते उन्हें चलने फिरने में भी दिक्कत हो रही थी। अभिलाष को पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा कलाश्री अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका। गीत ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ का दुनिया की 8 भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है। DNP इंडिया महान लेखक और गीतकार अभिलाष को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता है ।