दुनिया में कई तरह की अजीब परंपराएं और रस्म हैं। जिनके बारे में हम आपको अकसर बताते रहते हैं। लेकिन आज हम आपको जिस अजीब और विचित्र परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं। उस पर आपको शायद यकीन न हो। क्योंकि ये परंपरा ही कुछ ऐसी है। जिसमें जुड़वा बच्चों को मरने के बाद भी पाला जाता है। उनकी परवरिश जिंदा बच्चों की तरह की जाती है और ऐसा सिर्फ जुड़वा बच्चों की मौत के बाद किया जाता है।इस विचित्र परंपरा को पश्चिम अफ्रीकी देश बेनिन में फॉन जनजाति के लोगों के बीच माना जाता है। इसका निर्वाहन वो सदियों से करते आ रहे है।
अगर उनके घर में जुड़वा बच्चे पैदा हो और वो किसी कारण मर जाएं तो ये लोग उन्हें जिंदगीभर पालते हैं। इसके लिए वो लकड़ी के दो बच्चे बनाते हैं और तब तक उनकी परवरिश करते हैं। जब तक वो खुद नहीं मर जाते।


बच्चों के रूप में लड़की के टुकड़ों को रोज नहलाया जाता है। उन्हें कपड़े पहनाये जाते हैं। उन्हें खाना खिलाया जाता है। यहां तक कि, जब ये लोग कहीं बाहर जाते हैं तो उन्हें अपने साथ लेकर जाते हैं। ये डॉल्स को हर रोज स्कूल भी पढ़ने के लिए भेजते हैं। इन बच्चों के पुतलों की देखरेख के लिए घर में हमेशा कोई न कोई इनकी सेवा में तैनात रहता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि, इस फॉन जनजाति में हर 20 वें व्यक्ति के घर जुड़वा बच्चें जन्म लेते हैं और मरते भी हैं।देखने और सुनने में ये रस्म बेहद अजीब लगती है। फॉन जनजाति के लोगों से प्रभावित होकर फ्रेंच फोटोग्राफर एरिक लैफार्ग ने फॉन जनजाति के जीवन और उनकी परंपराओं पर एक डॉक्युमेंट्री फिल्म बनाई है। इसे देखकर आपके होश उड़ जाएंगे। इस डॉक्युमेंट्री में फोन जनजाति के जीवन से पर्दा हटा है। जो कि, बेहद चौंका देने वाला है।फॉन जनजाति के लोग इस अजीब परंपरा को इसलिए मानते हैं ताकि मरने के बाद इन बच्चों की आत्मा उन लोगों को परेशान न करें। इसके साथ इनका मानना है कि, ऐसा करने से समृद्धि आती है। इसलिए इस जनजाति के लोग जुड़वा बच्चों के मरने के बाद इस तरह की रस्म को मानते हैं।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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